दांत में कीड़ा लगने की 7 अचूक होम्योपैथिक दवा | Dant ke kide ki Homeopathic Medicine
आज के समय में दाँतों की अच्छी तरह से देख-भाल और साफ- सफाई न करने के कारण लोगों को दांतों से सम्बंधित अनेकों प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जिनमें प्रमुख रूप से दांतों में कीड़ा लगना,दाँतों में पानी लगना,दाँतों और मसूड़ों से खून आना आदि प्रमुख हैं।
यदि आप भी इनमें से किसी भी प्रकार की समस्या से पीड़ित हैं तो चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
क्योंकि आज के इस लेख में हम दांत में कीड़ा लगने की होम्योपैथिक दवा के बारे में विस्तार से जानकारी देंगें।
जिसको आप किसी कुशल होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह से शुरू करके आप अपनी दाँतों से जुड़ी किसी भी समस्या से पूरी तरह से निजात पा सकते हैं।
दांतों में कीड़ा लगने का कारण | Dant me kida lagne ke karan
किसी भी व्यक्ति के दांतों में कीड़े लगने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।
- अत्यधिक मीठे पदार्थों का सेवन करना।
- मुँह और दांतों की अच्छी तरह से सफाई न करना।
- बहुत अधिक तम्बाकू और पान मसाले का सेवन करना।
- पेट से जुड़ी समस्या होना।
- अत्यधिक चिपकने वाले पदार्थों का सेवन करना।
दांत में कीड़ा लगने के लक्षण | Dant me kida lagne ke lakshan
दांतों में कीड़ा लगने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
- दाँतों पर काले रंग के धब्बे दिखाई देना।
- दाँतों में छेद दिखाई देना।
- मसूड़ों में सूजन व दर्द होना।
- मसूड़ों से खून या पस आना।
- दाँतों में ठंडा या गर्म पानी लगना।
दांत में कीड़ा लगने की 7 अचूक होम्योपैथिक दवा
Mercurius Solubilis Hahnemanni (मर्क सोल)
कीड़े लगे दांत को ठीक करने के लिए मर्क सोल एक लाभकारी होम्योपैथिक दवा है।
इस दवा में रोगी के दांत के ऊपर के भाग में कीड़े लगते हैं और दांत का नीचे का हिस्सा पूरी तरह से ठीक रहता है।
दांत काले होकर टूटने लगते हैं।मसूड़े फूलकर लाल व गद्दीदार हो जाते हैं।मसूड़ों से खून आता है।
दांतों से जीभ छू जाने पर दर्द होने लगता है।मर्क सोल रोगी के दांतों का दर्द रात को व विस्तर की गर्मी से बढ़ जाता है।
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Plantago Major (प्लांटेगो मेजर)
यह दवा कीड़ा लगकर होने वाले दांतों के दर्द को दूर करने के लिए एक अचूक औषधि है।
इस दवा के मूल अर्क को रुई में भिगोकर कीड़े लगे स्थान पर लगाने से कुछ ही समय में दर्द से राहत मिल जाती है।
Thuja Occidentalis (थूजा)
यह दवा दांतों की जड़ में कीड़ा लगने पर अचूक काम करती है।इस दवा में रोगी के दांत का ऊपरी हिस्सा तो ठीक रहता है लेकिन उसके दांतों की जड़ घुन कर दांत टूटने लगते हैं और पीले पड़ जाते हैं।
रोगी को चाय या गर्म पानी पीने पर उसके दांतों में असहनीय दर्द होता है।कभी-कभी नाक छिड़कने पर खोखले दांत के अंदर या उसके किनारे पर दर्द होता है।
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Staphisagria (स्टेफिसेग्रिया)
यह दवा दांतों में कीड़े लगकर दाँतों के काले या स्याही के रंग के हो जाने पर विशेष उपयोगी है।
इस दवा में रोगी को कुछ खाने या चबाने से दांतों में दर्द नहीं होता है लेकिन खाने या पीने की वस्तु दाँतों में छू जाने पर दर्द होता है।
इसके अलावा ठंडी हवा मुँह में खिंचने या ठंडा पानी मुँह में लेने से दांत के दर्द में वृद्धि होती है।
Syphilinum (सिफीलिनम)
यह दवा छोटे-छोटे बच्चों के दूध के दांतों में कीड़े लगकर दांत खराब होने पर अत्यंत उपयोगी है।
Mezereum (मेजेरियम)
यह दवा दांतों की जड़ में कीड़ा लगने पर अत्यंत उपयोगी है।इस दवा में दांतों की जड़ घुन जाती है और उसमें दर्द होता है।
इस दवा में रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसके घुने हुए दांत अन्य दांतों की अपेक्षा बड़े हो गये हैं।
दाँतों में जीभ छू जाने पर दर्द होता है।रात के समय दर्द में वृद्धि होती है।मुँह खोलकर हवा खिंचने से दर्द में कमी होती है।
Kreosotum (क्रियोजोटम)
यह दवा मसूड़ों में सूजन,दांतों का नीला पड़ जाना,दांतों का नष्ट हो जाना,मसूड़ों से काले रंग का खून आना आदि रोगों में लाभकारी होता है।
इसके अलावा यह दवा छोटे-छोटे बच्चों के दांत निकलते समय दांत में कीड़े लगकर दांत काले होकर नष्ट हो जाने में अचूक काम करती है।