आज के भगदौड़ भरी जिंदगी में कमर,गर्दन और पीठ में दर्द की शिकायत होना एक सामान्य बात हो गई है।जिसका मुख्य कारण रीड की हड्डी में नसों का दबना होता है।
जिसके लिए लोग रीड की हड्डी में नस दबने का इलाज ढूढने लगते हैं।यदि आप भी ऐसी ही समस्या से पीड़ित हैं तो चिंता करने की कोई बात नहीं है।
लेकिन इसके पहले यह जान लेना आवश्यक है कि रीड की हड्डी की नस दबने कारण और लक्षण क्या है।
रीड की हड्डी की नस दबने के कारण
रीड की हड्डी में नसों के दबने की समस्या अधिकतर कमर, गर्दन और पीठ में होती है जो निम्नलिखित कारणों से हो सकती है।
• ऑटोइम्यून बीमारी होना।
• रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर होना।
• रीड की हड्डी में ट्यूमर होना।
• शरीर में कैल्शियम की कमी होना।
• रीड की हड्डी के कशेरुकाओं का एक दूसरे के ऊपर फिसलना
• दो कशेरुकाओं के बीच मौजूद डिस्क में सूजन होना।
• पीठ, गर्दन और कमर के हिस्से पर अचानक झटका लगना
• अपनी क्षमता से अधिक भारी सामान उठाना
आदि सभी कारणों से रीड की हड्डी में नस दबने की समस्या उत्पन्न होती है
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रीड की हड्डी की संरचना
मानव के रीड की हड्डी की संरचना अंग्रेजी के S के आकार का होता है।जिसमें 33 वर्टिब्रा होते हैं।जिसमें ऊपर के 7 वर्टिब्रा क्रमशः(C1,C2,C3,C4,C5,C6 और C7 होते हैं जो गर्दन से जुड़े होते हैं।
उसके नीचे 12 वर्टिब्रा होते हैं जो चेस्ट और सीने को सहारा देते हैं,और सबसे नीचे की तरफ 5 वर्टिब्रा होते हैं जिन्हें क्रमशः(L1,L2,L3,L4,L5)के नाम से जाना जाता है।
इन वर्टिब्रा के बीच में एक सफेद गद्दीदार भाग होता है जिसे डिस्क कहते हैं।जो रीड की हड्डी को सीधा रखने के साथ-साथ उसे लचीला बनाने में मदद करती है।
यदि किसी कारणवश यह डिस्क आगे या पीछे की ओर खिसक जाय तो रीड की हड्डी के आस-पास से गुजरने वाली नसों पर दबाव पड़ने लगता है जिसके कारण निम्नलिखित लक्षण प्रकट होने लगतें हैं।
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रीड की हड्डी में नस दबने के लक्षण
जब रीढ़ की हड्डी में कोई नस दब जाती है, तो यह दबाव के स्थान और गंभीरता के आधार पर विभिन्न प्रकार के लक्षण पैदा कर सकता है। जब रीढ़ की हड्डी में गर्दन की नस दब जाती है तो निम्न लक्षण हो सकते हैं:
• हाथों में झुनझुनी के साथ अंगुलियों का सुन्न होना
• आंखों की दृष्टि कमजोर होना
• कंधों में अकड़न और दर्द होना
• चक्कर आना
• मतली आना
• सिर में दर्द होना
• दोनों कन्धों के बीच जलन होना
• स्मरण शक्ति कमजोर होना।
इसके अलावा यदि गर्दन के नस पर ज्यादा दबाव है तो हाथों में लकवा मारने का डर बना रहता है।
जब रीढ़ की हड्डी में कमर की नस दब जाती है, तो यह दबाव के स्थान और गंभीरता के आधार पर निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
• कमर में बहुत तेज दर्द होना।
• पैरों की अंगुलियों और त्वचा का सुन्न हो जाना।
• पैरों में झुनझुनी होना।
• कमर से लेकर एड़ी तक दर्द होना।
• पखाना और पेशाब की अनुभूति न होना।
इसके अतिरिक्त रीड की हड्डी में कमर की नसों में दबाव अधिक होने पर सियाटिका रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
रीड की हड्डी में नस दबने का इलाज
यदि रीड की हड्डी में दबने लगे तो उसके कारण रीड की हड्डी और उसके आस-पास के भागों में दर्द होने लगता है।जिसका पता एमआरआई (MRI) जांच द्वारा लगाया जाता है।
इस जांच से इस बात का पता लगाया जाता है कि रीड की हड्डी के किस भाग में नसों पर दबाव पड़ रहा है और कितना पड़ रहा है।
यदि नस दबने का प्रभाव कम है ऐसे में कुछ दवाइयां फिजियोथेरेपी और एक्सरसाइज द्वारा नस पर पड़ने वाले दबाव को कम करने का प्रयास किया जाता है।
लेकिन यदि नसों पर दबाव ज्यादा पड़ रहा है तो उसे होमियोपैथिक दवाओं द्वारा पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
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रीड की हड्डी में नस दबने का होम्योपैथिक इलाज
निम्नलिखित होम्योपैथिक दवाएं रीढ़ की हड्डी की दबी हुई कमर और गर्दन की नसों का इलाज करने में प्रभावी होती हैं।
Hypericum Perforatum - हाईपेरिकम
इस दवा का प्रयोग तब किया जाता है जब रीढ़ की हड्डी बढ़कर डिस्क पर दबाव देने लगती हैं।जिससे नसें दब जाती हैं।जिसके कारण नसों में इलेक्ट्रिक करंट की तरह झनझनाहट और दर्द होने लगता है।
तब Hypericum Perforatum 200 को 4 बूंद की मात्रा में दिन भर में तीन बार प्रयोग करने से फायदा होता है। यह होम्योपैथिक दवा रीड की हड्डी में नस दबने का इलाज के लिए बेहद प्रभावी होती है।
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Arnica Montana-अर्निका मोंटाना
इस दवा का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी कारण से रीढ़ की हड्डी में चोट लगकर रीड की वर्टिब्रा में सूजन आ जाती है।
जिससे रीड हड्डी के आस-पास से गुजरने वाली नसों पर दबाव पड़ने लगता है।जिसके कारण रीढ़ की हड्डी में दर्द होता है तब Arnica Montana 200 use करने से फायदा होता है।
करने से फायदा होता है।
Rhus Tox-रस टाक्स
इस दवा का प्रयोग तब किया जाता है जब रीड की हड्डी में कमर की नस दबने के कारण कमर में बहुत तेज दर्द होता है।वह दर्द लेटने और बैठने से बढ़ जाता है और चलने-फिरने से कम रहता है।
तब Rhus Tox 200 का 2 से 4 बूँद सुबह-शाम उपयोग करने से रीड की हड्डी में कमर की नस दबने के कारण होने वाले तकलीफ में आराम मिलता है।
Colocynthis-कोलोसिन्थिस
कमर के दर्द में इस दवा का प्रयोग तब किया जाता है जब दर्द बायीं तरफ कमर के पीछे से होता हुआ पैर की एड़ी तक उतरता है। दर्द की प्रकृति नोंचने ,ऐंठन की तरह होती है।
पैरों में इतना दर्द होता है कि रोगी एक कदम भी चल नहीं सकता है।दबाने से और दोनों पैरों को पेट की तरफ मोड़कर सोने से रोगी को आराम मिलता है।
रीड की हड्डी में कमर की नसों के दबने से उत्तपन्न इस प्रकार के लक्षणों में Colocynthis 200 use करने से फायदा होता है।
Gnaphalium Polycephalum-नफेलियम
कमर के दर्द में इस दवा का प्रयोग तब किया जाता है जब दर्द के साथ कमर और पैरों में सुन्नता रहती है।चलने-फिरने और लेटने से दर्द बढ़ जाता है लेकिन बैठने से कमर के दर्द में आराम मिलता है।
इस प्रकार के लक्षण रहने पर नफेलियम 30 (Gnaphalium)को 3 से 4 बूंद की मात्रा में दिनभर में तीन बार प्रयोग करने से फायदा होता है।
Cimicifuga 200 - सिमिसिफुगा
इस दवा का प्रयोग तब किया जाता है जब रीड की हड्डी में गर्दन की नस दबकर बायें कंधे और हाथों में दर्द,झुनझुनी और ऐंठन होता है।तब सिमिसिफुगा 200 के प्रयोग से गर्दन और हाथों के दर्द में आराम मिलता है।
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पेरिस क्वाड्रिफ़ोलिया
इस दवा का प्रयोग तब किया जाता है जब गर्दन की सर्वाइकल नस दबकर कंधे,बांह और हाथों की अंगुलियां सुन्न पड़ जाती है तब इस दवा के प्रयोग से फायदा होता है।
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मैग्नेशिया फॉस्फोरिका
इस होम्योपैथिक दवा का प्रयोग तब किया जाता है जब रीढ़ की हड्डी में कमर की नस दबकर कमर में बहुत तेज दर्द होता है।
वह दर्द कमर के पीछे से होता हुआ दाहिनें पैर में जाता है और वह दर्द सेकनें व दबाने से कम रहता है।
इस प्रकार के लक्षणों में मैग्नेशिया फॉस्फोरिका 6x के 5 से 6 गोली दिनभर में तीन बार प्रयोग से दर्द में लाभ होता है।
HomeoCal
यह दवा SBL कम्पनी द्वारा बनाया गया एक पेटेंट है।जिसका उपयोग शरीर में होने वाली कैल्सियम की कमी की पूर्ति करने और रीड की हड्डी की कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है।
रीढ़ की हड्डी कमजोर होकर जब कमर की नसों पर दबाव देने लगती हैं जिसके कारण कमर में दर्द रहने लगता है तब HomeoCal होम्योपैथिक दवा का 2 टैबलेट्स दिनभर में 3 बार प्रयोग करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
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रस टॉक्सिकोडेंड्रोन:
इस दवा का प्रयोग रीढ़ की हड्डी के दर्द के लिए तब किया जाता है जब रोगी को शुरू-शुरू में चलने-फिरने के दौरान दर्द होता है लेकिन लगातार चलने से दर्द में कम हो जाता है।
यह अत्यधिक परिश्रम, मोच या तनाव के कारण होने वाले रीड की हड्डी के दर्द के लिए उपयोगी है। दर्द के साथ कठोरता और पीड़ा के साथ प्रभावित क्षेत्र में बेचैनी महसूस होती है।
इसके अलावा जिन लोगों को गर्म सिकाई या हल्के व्यायाम करने से रीड की हड्डी के दर्द(पीठ के दर्द) में आराम मिलता है उनके रीढ़ की हड्डी की दबी हुई नसों का इलाज करने के लिए रस टॉक्स 200 एक प्रभावी होम्योपैथिक दवा है।
ब्रायोनिया अल्बा:
अर्निका मोंटाना
काली कार्बोनिकम:
कैल्केरिया कार्बोनिका:
नक्स वोमिका:
काली बाइक्रोमिकम:
इस लेख में आपने जाना कि रीड की हड्डी में नस दबने के कारण,रीड की हड्डी में नस दबने के लक्षण और रीड की हड्डी में नस दबने का होम्योपैथिक इलाज के बारे में पूरी जानकारी।
यह जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके हमे जरूर बताएं।