पैरों में जलन की 12 सबसे असरदार होम्योपैथिक दवा
कुछ लोग पैरों होने वाले जलन को एक सामान्य समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। यदि यह समस्या कभी कभार होता है तो इसे एक सामान्य प्रक्रिया समझा जा सकता है।
लेकिन पैरों में जलन की समस्या क्या दिन-क्या रात हमेशा बनी रहे तो सावधान हो जाने की जरूरत है क्योंकि पैरों की यह जलन भविष्य में आने वाले गम्भीर रोगों की सूचना देते हैं।
जिनमें प्रमुख रूप से डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, किडनी से सम्बंधित बीमारी आदि मुख्य रूप से हो सकता है।यदि आप भी पैरों में जलन की समस्या से परेशान हैं और कोई कारगर उपाय ढूढ़ रहे हैं तो आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।
क्योंकि की आज के इस लेख में हम पैरों में जलन की ऐसी कारगर होम्योपैथिक दवा और उसके प्रयोग करने के सटीक लक्षणों के बारे में बतायेगें जिसके प्रयोग से आपके पैरों की जलन बिना किसी साइड इफेक्ट के हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो जाएगी।
तो आइये जानते हैं पैरों में जलन को ठीक करने की बहुत ही कारगर एवं असरकारक होम्योपैथिक दवाओं के बारे में विस्तार से-
पैरों में जलन की 12 सबसे कारगर होम्योपैथिक दवा
सल्फर
पैरों में जलन को ठीक करने के लिए सल्फर होमियोपैथी की एक अचूक दवा है।इस दवा में रोगी के पैरों में बहुत ही तेज जलन होती है।रोगी जलन से आराम पाने के लिए अपने पांव को ठंडे पानी में डुबो कर रखना चाहता है।
जिससे उसे जलन में आराम मिले।रात को सोते समय अपने पैर को रजाई से बाहर निकाल कर सोता है।रोगी को कभी - कभी पैरों में खुजली और चुभन भी महसूस होती है।
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आर्सेनिक एल्बम
पैरों में जलन और बेचैनी को ठीक करने के लिए आर्सेनिक एल्बम भी एक कारगर होम्योपैथिक दवा है।इस दवा में रोगी के पैरों की जलन रात 1 बजे से 2 बजे के बीच बढ़ जाती है।
इस दवा में रोगी के पैरों में जलन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जब रोगी अपने पैरों को किसी गर्म चीज से सिकाई करता है अथवा जब अपने पैरों को बिछौने के अंदर रखता है तब शुरू-शुरू में उसे जलन होती है लेकिन जैसे-जैसे बिछौना गर्म होता जाता है उसे जलन में राहत महसूस होती है।
इसके अलावा रोगी को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार प्यास लगती है जो इस दवा के प्रयोग करने का एक सूचक लक्षण है।
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मेडोरिनम
यह दवा गनेरिया या सुजाक रोग से ग्रस्त रोगी के पैरों व तलवों में जलन को ठीक करने के लिए एक अचूक होम्योपैथिक दवा है।
इस दवा का मुख्य असर शरीर के बायें भाग पर होता है इस लिए यह दवा बायें पैर के जलन को ठीक करने के लिए बहुत ही कारगर है।
इस दवा को रोगी के पैरों के जलन में प्रयोग करने का सबसे प्रमुख लक्षण यह है कि रोगी अपने पैरों को जलन से राहत पाने के लिए पैरों पर पंखे की हवा चाहता है।जिससे उसे जलन में आराम मिल सके।
फास्फोरस
यह दवा पैर के तलवों में जलन व चुभन को ठीक करने के लिए विशेष उपयोगी है।
इस दवा में रोगी के तलवे में सूजन के साथ-साथ कांटा चुभने जैसा दर्द का एहसास होता है।रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे उसके पैरों में बिजली का करंट दौड़ रहा है।
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नैट्रम कार्ब
यह दवा साधारण खाने वाले सोडा (सोडियम बाई कार्बोनेट) को होम्योपैथिक विधि से शक्तिकृत करके बनाई जाती है।
इस दवा में रोगी को चलते समय पैरों में जलन व दर्द होता है।जलन ज्यादातर रोगी के दाहिनें पैर के तलवे में होती है।
काली फॉस
यह दवा नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाती है।इस लिये नर्वस सिस्टम की कमजोरी के कारण होने वाले तलवों और पैर की अंगुलियों में जलन को ठीक करने के लिए काली फास एक शक्तिशाली होम्योपैथिक दवा है।
कैल्केरिया कार्बोनिका
यह दवा मोटे और थुलथुले लोगों के पांव और तलुओं के जलन की ठीक करने के लिए अतिउत्तम होम्योपैथिक दवा है।
इस दवा में रोगी के पांव में जलन के साथ सिर और माथे पर बहुत अधिक पसीना होता है।इसके साथ ही रोगी को अंडे खाने की इच्छा हमेशा बनी रहती है।
पांव के तलुओं के जलन में यही कैल्केरिया कार्बोनिका के प्रयोग करने का निर्देशक लक्षण है।
लाइकोपोडियम
यह दवा दाहिनें पैर की जलन को ठीक करने के लिए एक असरदार होम्योपैथिक दवा है।इस दवा में जलन रोगी के दाहिनें पैर से शुरू होकर बांये पैर को जाता है।
इसके साथ ही रोगी को पेट से सम्बंधित कोई ना कोई शिकायत अवश्य बनी रहती है।शाम को 4 बजे से रात 8 बजे की बीच रोगी के पैरों की जलन में वृद्धि होना इस दवा के प्रयोग करने का सबसे प्रमुख लक्षण है।
पल्सेटिला
मोटी व थुलथुली स्त्रियां जो कोमल और मृदु स्वभाव की होती हैं।जिनको मासिक धर्म से सम्बंधित कोई न कोई समस्या अवश्य बनी रहती है उनके पैर के एड़ी में जलन व सूजन के लिए पल्सेटिला काफी लाभदायक है।
इस दवा में रोगी के पैर का ऊपरी हिस्सा लाल हो जाता है।रोगी के खड़े होने पर पैरों में जलन के साथ झुनझुनी जैसा महसूस होना इस दवा के प्रयोग करने का प्रमुख लक्षण है।
साइलीशिया
अर्निका
यह दवा जब पैरों में चोट या ठोकर लगकर पैरों में सूजन व जलन की शुरुआत होती है तथा पैरों में झुनझुनी व सुन्नपन के लक्षण दिखाई देने लगता हैं तब इस दवा के प्रयोग से लाभ होता है।
एपिस मेलिफ़िका
यह दवा मधुमक्खी के डंक से बनाई जाती है।
यह दवा पैर के तलवों और अंगुलियों में जलन को ठीक करने के लिए बहुत ही कारगर है।इस दवा में रोगी अपने पैरों की जलन को कम करने के लिए अपने पैरों को ठंडी जगह पर रखना चाहता है।
पैरों में जलन के कारण
पैरों में जलन के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।
1.डायबिटीज
जो लोग डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित हैं उनके खून में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ने से तंत्रिका तंत्र को काफी क्षति होती है उस कारण से भी पैरों में जलन व चुभन हो सकती है।
2.अत्यधिक शराब का सेवन
जो लोग बहुत अधिक शराब या धूम्रपान का सेवन करते हैं उनकी तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाती है उस कारण भी पैरों में जलन हो सकती है।
3.विटामिन्स की कमी
विटामिन बी 12 और बी 6 की कमी से तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचता है और शरीर में खून की कमी हो जाती है उस कारण से भी पैरों में जलन व झुनझुनी हो सकती है।
4.थाइराइड
थाइराइड की बीमारी होने से शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होता है और शरीर का मोटापा बढ़ने लगता है जिससे पैर की नसों पर दबाव पड़ता है उससे भी पैरों में सुन्नपन और जलन हो सकता है।
5.किडनी की बीमारी
जो लोग पुरानी किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं उनके शरीर से विषाक्त पदार्थों को किडनी ठीक से फिल्टर नहीं कर पाता है जिसके कारण शरीर के तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुचता है उस कारण भी पैरों में जलन की सम्भावना हो सकती है।
6.टखनों में चोट
टखनों में चोट के कारण टखनों से पैर की ओर जाने वाली नसों पर दबाव पड़ता है जिसके कारण खून का संचार ठीक तरह से पैर के अंतिम छोर तक नहीं हो पाता है उस कारण भी पैरों में जलन व झुनझुनी हो सकती है।
7.गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति
गर्भावस्था और मासिक धर्म समाप्त होने के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होता है जिसके कारण भी उनके पैरों में जलन की अनुभूति हो सकती है।
8.दवाओं के साइड इफेक्ट
कुछ गम्भीर रोगों के इलाज में प्रयोग में लायी जाने वाली कीमोथेरेपी और दवाओं के साइड इफेक्ट 7 तंत्रिका तंत्र को काफी क्षति होती है उससे भी पैरों में जलन की सम्भावना हो सकती है।
अस्वीकरण:homeoupchar.com इस लेख में बताए गए तरीकों, विधियों और दावों की पुष्टि नहीं करता है, इन्हें केवल सुझाव के रूप में लें, ऐसे किसी भी उपचार/दवा को लागू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।